अगर तुम साथ हो



जेठ की दुपहरी भी,
अक्सर, ठंडक कर जाती है।।
ठंड की रातें भी गर्मी,
बदन में भर जाती है।।
साजन!,, अगर तुम साथ हो,,, 


----विचार एवं शब्द-सृजन----
---By---
----पूजा यादव'प्रीत'----
----स्वलिखित एवं मौलिक रचना----


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4 Comments

Varsha_Upadhyay

02-Mar-2024 07:40 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

02-Mar-2024 11:45 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

01-Mar-2024 11:24 PM

बहुत खूब

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